जय मां राज राजेश्वरी आज हम बात करेंगे अपने लग्न के अनुसार धन समृद्धि मे बृद्धी लिए कौन से ग्रह का कवच पाठ करे
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पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी
उपाध्यक्ष
वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान जयपुर एवं हैदराबाद
ह्वाटसएप नबंर 7877457465 /मोबइल नबंर 9348871117
मेष लग्न
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मेष लग्न में पञ्चमेष सूर्य होता है अतः सूर्य कवच का पाठ करना शुभ होगा मेष लग्न में शुक्र द्वितीय भाव का स्वामी होता है और शुक्र कवच का पाठ नित्य करना धन वृद्धि कारक होगा! मेष लग्न में बृहस्पति नवम भाव का स्वामी होकर भाग्य वृद्धि में सहायक होता है अतः ब्रहस्पति कवच का नित्य पाठ करना शुभ है !मेष लग्न में शनि लाभ एवं कर्म का प्रतिनिधित्व करता है अतः नित्य शनि कवच का पाठ करें
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वृष लग्न
==========वृष लग्न में बुद्ध धनेश एवं पंचमेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए आकस्मिक धन लाभ. के लिए बुध कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !वृष लगन में भाग्य भाव व दशम भाव का अधिपति ग्रह शनि होता है,अतः धन समृद्धि के लिए बृहष्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है वृषलग्न में लाभ का अधिपति आय का अधिपति ग्रह बृहष्पति होता है अतः धन समृद्धि के लिए ब्रहस्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है
============================== ================मिथुन लग्न
=============मिथुन लग्न में चंद्रमा धन भाव का अधिपति होता है अतः धन समृद्धि के लिए चंद्रमा का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !मिथुन लग्न में पंचम भाव का अधिपति ग्रह शुक्र होता है अतः धन समृद्धि के लिए शुक्र कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है मिथुन लग्न में शनि भाग्येश होता है अतः धन समृद्धि के लिए भाग्य बृद्धि के लिए शनि कवच का पाठ नित्य करना श्रेष्ठ होता है! मिथुन लग्न में बृहस्पति सप्तमेश एवं कर्मेश होता है अतः कर्म वृद्धि के लिए कार्य में सफलता के लिए गृह शांति के लिए धन समृद्धि के लिए बृहस्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है! मिथुन लग्न में मंगल लाभ का अधिपति होता है अतः आय के लिए लाभ के लिए यश के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है!
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कर्क लग्न
================कर्क लग्न में धनेश सूर्य होता है अतः सूर्य कवच का पाठ करना शुभ होता है कर्क लग्न में मंगल पंचम भाव का अधिपति होता है अतः आए के लिए लाभ के लिए यश के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !कर्क लग्न में बृहस्पति नवम भाव का स्वामी होकर भाग्य वृद्धि में सहायक होता है अतः बृहस्पति कवच नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !कर्क लग्न मे शुक्र एकादश भाव का स्वामी होता है अतःशुक्र कवच का नित्य पाठ करना धन वृद्धि कारक होगा!
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पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी
उपाध्यक्ष
वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान जयपुर एवं हैदराबाद
ह्वाटसएप नबंर 7877457465 /मोबइल नबंर 9348871117
सिंह लग्न
==================सिंह लग्न में बुध धनेश एवं लाभेश होता है, अतः धन समृद्धि के लिए, आकस्मिक लाभ के लिए, बुध कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ! सिंह लग्न में बृहस्पति पंचम भाव का स्वामी होकर भाग्य वृद्धि में सहायक होता है अतः बृहस्पति कवच का पाठ नित्य करना शुभ है !सिंह लग्न में मंगल भाग्येश और सुखेश होता है !अतः भाग्य के लिए आए के लिए लाभ के लिए यश के लिए सुख के लिए भूमि एवं भवन के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !सिंह लग्न में शुक्र दशम भाव का स्वामी होता है तो शुक्र कवच का नित्य पाठ करना कार्य व्यवसाय में सफलता एवं धन प्रदायक होगा !
============================== ================कन्या लग्न
==================कन्या लग्न में शुक्र द्वितीयेश व भाग्येश होता है और शुक्र कवच का पाठ नित्य करना भाग्य में वृद्धि कारक होगा !कन्या लग्न में शनि पंचमेश होता है ,अतः धन समृद्धि के लिए शनि कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ! कन्या लग्न में बुध दशमेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए आकस्मिक धन लाभ के लिए बुध कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,कन्या लग्न में चंद्रमा एकादशेष (लाभेष) होता है ,अतः धन समृद्धि के लिए आकस्मिक धन लाभ के लिए चंद्र कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है!
============================== ================तुला लग्न
====₹=₹₹₹=₹==== तुला लग्न में मंगल धनाभाव का अधिपति होता है,अतः आय के लिये लाभ के लिए यश के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है, तुला लग्न में शनि चतुर्थेश व पंचमेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए सुख के लिए आए के लिए लाभ के लिए यश के लिए शनि कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,तुला लग्न मे बुद्ध भाग्येश एवं व्ययेश होता है अतः भाग्य वृद्धि का तथा अनावश्यक व्यय हानि को रोकने के लिए बुध कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,तुला लग्न में चंद्रमा का कर्मेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए चंद्रमा कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,! तुला लग्न मे लाभेष सूर्य होता है,अतःसूर्य कवच का पाठ करना शुभ होता है !
========₹₹₹₹₹₹₹₹=======#==##== ======वृश्चिक लग्न
============वृश्चिक लग्न में बृहस्पति धनेश एवं पंचमेश होकर धन की प्राप्ति और भाग्य वृद्धि में सहायक होता है अतः बृहष्पति कवच का नित्य पाठ करना शुभ है ,वृश्चिक लग्न में चंद्रमा भाग्येश होता है अतः भाग्य वृद्धि के लिए चंद्रमा कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है वृश्चिक लग्न में सूर्य कर्मेष होता है, अंतःधन समृद्धि के सूर्य कवच का नित्य पाठ करना शुभ होता है,बृश्चिक लग्न मे लाभेष बुध होता है,अतः बुध कवच का पाठ करना शुभ होता है
============*†***%%**₹******** ********************"*
धनु लग्न *******============धनु लग्न में शनि द्वितीयेष व तृतीयेश होकर धन की प्राप्ति और भाग्य वृद्धि में सहायक होता है ,अतः शनि कवच का नित्य पाठ करना शुभ है !धनु लग्न में मंगल पंचम भाव का अधिपति होता है अतः आय के लिए ,लाभ के लिए ,यश के लिए, मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,धनु लग्न में सूर्य भाग्येश होता है अतः भाग्य वृद्धि के लिए सूर्य कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,धनु लग्न में बुध कर्मेश होता है, अतः धन समृद्धि के लिए सूर्य कवच का पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,घनु लग्न में शुक्र लाभेष होता है और शुक्र कवच का पाठ करना धन लाभ में वृद्धि कारक होता है !
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पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी
उपाध्यक्ष
वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान जयपुर एवं हैदराबाद
ह्वाटसएप नबंर 7877457465 /मोबइल नबंर 9348871117
मेष लग्न
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मेष लग्न में पञ्चमेष सूर्य होता है अतः सूर्य कवच का पाठ करना शुभ होगा मेष लग्न में शुक्र द्वितीय भाव का स्वामी होता है और शुक्र कवच का पाठ नित्य करना धन वृद्धि कारक होगा! मेष लग्न में बृहस्पति नवम भाव का स्वामी होकर भाग्य वृद्धि में सहायक होता है अतः ब्रहस्पति कवच का नित्य पाठ करना शुभ है !मेष लग्न में शनि लाभ एवं कर्म का प्रतिनिधित्व करता है अतः नित्य शनि कवच का पाठ करें
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वृष लग्न
==========वृष लग्न में बुद्ध धनेश एवं पंचमेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए आकस्मिक धन लाभ. के लिए बुध कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !वृष लगन में भाग्य भाव व दशम भाव का अधिपति ग्रह शनि होता है,अतः धन समृद्धि के लिए बृहष्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है वृषलग्न में लाभ का अधिपति आय का अधिपति ग्रह बृहष्पति होता है अतः धन समृद्धि के लिए ब्रहस्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है
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=============मिथुन लग्न में चंद्रमा धन भाव का अधिपति होता है अतः धन समृद्धि के लिए चंद्रमा का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !मिथुन लग्न में पंचम भाव का अधिपति ग्रह शुक्र होता है अतः धन समृद्धि के लिए शुक्र कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है मिथुन लग्न में शनि भाग्येश होता है अतः धन समृद्धि के लिए भाग्य बृद्धि के लिए शनि कवच का पाठ नित्य करना श्रेष्ठ होता है! मिथुन लग्न में बृहस्पति सप्तमेश एवं कर्मेश होता है अतः कर्म वृद्धि के लिए कार्य में सफलता के लिए गृह शांति के लिए धन समृद्धि के लिए बृहस्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है! मिथुन लग्न में मंगल लाभ का अधिपति होता है अतः आय के लिए लाभ के लिए यश के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है!
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कर्क लग्न
================कर्क लग्न में धनेश सूर्य होता है अतः सूर्य कवच का पाठ करना शुभ होता है कर्क लग्न में मंगल पंचम भाव का अधिपति होता है अतः आए के लिए लाभ के लिए यश के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !कर्क लग्न में बृहस्पति नवम भाव का स्वामी होकर भाग्य वृद्धि में सहायक होता है अतः बृहस्पति कवच नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !कर्क लग्न मे शुक्र एकादश भाव का स्वामी होता है अतःशुक्र कवच का नित्य पाठ करना धन वृद्धि कारक होगा!
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पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी
उपाध्यक्ष
वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान जयपुर एवं हैदराबाद
ह्वाटसएप नबंर 7877457465 /मोबइल नबंर 9348871117
सिंह लग्न
==================सिंह लग्न में बुध धनेश एवं लाभेश होता है, अतः धन समृद्धि के लिए, आकस्मिक लाभ के लिए, बुध कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ! सिंह लग्न में बृहस्पति पंचम भाव का स्वामी होकर भाग्य वृद्धि में सहायक होता है अतः बृहस्पति कवच का पाठ नित्य करना शुभ है !सिंह लग्न में मंगल भाग्येश और सुखेश होता है !अतः भाग्य के लिए आए के लिए लाभ के लिए यश के लिए सुख के लिए भूमि एवं भवन के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !सिंह लग्न में शुक्र दशम भाव का स्वामी होता है तो शुक्र कवच का नित्य पाठ करना कार्य व्यवसाय में सफलता एवं धन प्रदायक होगा !
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==================कन्या लग्न में शुक्र द्वितीयेश व भाग्येश होता है और शुक्र कवच का पाठ नित्य करना भाग्य में वृद्धि कारक होगा !कन्या लग्न में शनि पंचमेश होता है ,अतः धन समृद्धि के लिए शनि कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ! कन्या लग्न में बुध दशमेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए आकस्मिक धन लाभ के लिए बुध कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,कन्या लग्न में चंद्रमा एकादशेष (लाभेष) होता है ,अतः धन समृद्धि के लिए आकस्मिक धन लाभ के लिए चंद्र कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है!
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====₹=₹₹₹=₹==== तुला लग्न में मंगल धनाभाव का अधिपति होता है,अतः आय के लिये लाभ के लिए यश के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है, तुला लग्न में शनि चतुर्थेश व पंचमेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए सुख के लिए आए के लिए लाभ के लिए यश के लिए शनि कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,तुला लग्न मे बुद्ध भाग्येश एवं व्ययेश होता है अतः भाग्य वृद्धि का तथा अनावश्यक व्यय हानि को रोकने के लिए बुध कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,तुला लग्न में चंद्रमा का कर्मेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए चंद्रमा कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,! तुला लग्न मे लाभेष सूर्य होता है,अतःसूर्य कवच का पाठ करना शुभ होता है !
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============वृश्चिक लग्न में बृहस्पति धनेश एवं पंचमेश होकर धन की प्राप्ति और भाग्य वृद्धि में सहायक होता है अतः बृहष्पति कवच का नित्य पाठ करना शुभ है ,वृश्चिक लग्न में चंद्रमा भाग्येश होता है अतः भाग्य वृद्धि के लिए चंद्रमा कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है वृश्चिक लग्न में सूर्य कर्मेष होता है, अंतःधन समृद्धि के सूर्य कवच का नित्य पाठ करना शुभ होता है,बृश्चिक लग्न मे लाभेष बुध होता है,अतः बुध कवच का पाठ करना शुभ होता है
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धनु लग्न *******============धनु लग्न में शनि द्वितीयेष व तृतीयेश होकर धन की प्राप्ति और भाग्य वृद्धि में सहायक होता है ,अतः शनि कवच का नित्य पाठ करना शुभ है !धनु लग्न में मंगल पंचम भाव का अधिपति होता है अतः आय के लिए ,लाभ के लिए ,यश के लिए, मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,धनु लग्न में सूर्य भाग्येश होता है अतः भाग्य वृद्धि के लिए सूर्य कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,धनु लग्न में बुध कर्मेश होता है, अतः धन समृद्धि के लिए सूर्य कवच का पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,घनु लग्न में शुक्र लाभेष होता है और शुक्र कवच का पाठ करना धन लाभ में वृद्धि कारक होता है !
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मकर लग्न
=============**मकर लग्न में शनि धनेश होता है और धन समृद्धि के लिए शनि कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,मकर लग्न में शुक्र पंचम भाव व दशम भाव का स्वामी होता है अतःअाय के लिये़ लाभ के लिए यश के लिये, कर्म के लिए शुक्र कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,मकर लग्न में बुध भाग्येश होता है भाग्य वृद्धि के लिए बुध कवच का नित्य एक करना श्रेष्ठ होता है ,मकर लग्न में मंगल लाभेष होता है अतः आय के लिए आकस्मिक लाभ के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,
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कुंभ लग्न
================कुंभ लग्न में बृहस्पति धनेष व लाभेष होकर धन की प्राप्ति और आकस्मिक लाभ की प्राप्ति में सहायक होता है ,अतःबृहस्पति कवच का पाठ करना शुभ है,कुंभ लग्न में पञ्चमेष बुद्ध होता है अतः धन समृद्धि के लिए बुध कवच का नित्य पाठ करना सुभ होता है,कुम्भ लग्न में शुक्र भाग्येष होता है अतः भाग्य वृद्धि के लिए नित्य शुक्र कवच का पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,कुंभ लग्न में मंगल कर्मेष होता है अतः कर्म वृद्धि के लिए कार्य में सफलता के लिए ग्रह शांति के लिए धन समृद्धि के लिए बृहस्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है
==============*===*=========== ===============मीन लग्न
=======मीन लग्न में मंगल धनेश और भाग्येष होता है अतः धन की वृद्धि तथा भाग्य वृद्धि के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है , मीन लग्न में चंद्रमा पंचमेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए चंन्द्र कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है:-[ मीन लग्न में बृहस्पति कर्मेश होता है अतःकर्म वृद्धि के लिए कार्य में सफलता के लिए गृह शांति के लिए धन समृद्धि के लिए बृहस्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,मीन लग्न में शनि लाभेष होता है अतःआय के लिए आकस्मिक लाभ के लिए धन समृद्धि के लिए शनि कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !!!
====*=****जय मां राज राजेश्वरी ग्रह की शांति के लिए ग्रह की शांति के लिए ग्रहों के कवच का पाठ हम आगे बताएंगे जय मां किसी भी सहायता के लिए संपर्क करें पारदेश्वर शिवलिंग भी उपलब्ध हैं !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी
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वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान जयपुर एवं हैदराबाद
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=============**मकर लग्न में शनि धनेश होता है और धन समृद्धि के लिए शनि कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,मकर लग्न में शुक्र पंचम भाव व दशम भाव का स्वामी होता है अतःअाय के लिये़ लाभ के लिए यश के लिये, कर्म के लिए शुक्र कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,मकर लग्न में बुध भाग्येश होता है भाग्य वृद्धि के लिए बुध कवच का नित्य एक करना श्रेष्ठ होता है ,मकर लग्न में मंगल लाभेष होता है अतः आय के लिए आकस्मिक लाभ के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है,
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कुंभ लग्न
================कुंभ लग्न में बृहस्पति धनेष व लाभेष होकर धन की प्राप्ति और आकस्मिक लाभ की प्राप्ति में सहायक होता है ,अतःबृहस्पति कवच का पाठ करना शुभ है,कुंभ लग्न में पञ्चमेष बुद्ध होता है अतः धन समृद्धि के लिए बुध कवच का नित्य पाठ करना सुभ होता है,कुम्भ लग्न में शुक्र भाग्येष होता है अतः भाग्य वृद्धि के लिए नित्य शुक्र कवच का पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,कुंभ लग्न में मंगल कर्मेष होता है अतः कर्म वृद्धि के लिए कार्य में सफलता के लिए ग्रह शांति के लिए धन समृद्धि के लिए बृहस्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है
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=======मीन लग्न में मंगल धनेश और भाग्येष होता है अतः धन की वृद्धि तथा भाग्य वृद्धि के लिए मंगल कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है , मीन लग्न में चंद्रमा पंचमेश होता है अतः धन समृद्धि के लिए चंन्द्र कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है:-[ मीन लग्न में बृहस्पति कर्मेश होता है अतःकर्म वृद्धि के लिए कार्य में सफलता के लिए गृह शांति के लिए धन समृद्धि के लिए बृहस्पति कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है ,मीन लग्न में शनि लाभेष होता है अतःआय के लिए आकस्मिक लाभ के लिए धन समृद्धि के लिए शनि कवच का नित्य पाठ करना श्रेष्ठ होता है !!!
====*=****जय मां राज राजेश्वरी ग्रह की शांति के लिए ग्रह की शांति के लिए ग्रहों के कवच का पाठ हम आगे बताएंगे जय मां किसी भी सहायता के लिए संपर्क करें पारदेश्वर शिवलिंग भी उपलब्ध हैं !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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