जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे कुंडली का यह योग व्यक्ति को बना देता है राजा
कुंडली में नौवें और दसवें स्थान का बड़ा महत्त्व होता है।जन्म कुंडली में नौवां स्थान भाग्य का और दसवां कर्म का स्थान होता है। कोई भी व्यक्ति इन दोनों घरों की वजह से ही सबसे ज्यादा सुख और समृधि प्राप्त करता है। कर्म से ही भाग्य का निर्माण होता है और अच्छा भाग्य, अच्छे कार्य व्यक्ति से करवाता है।अगर जन्म कुंडली के नौवें या दसवें घर में सही ग्रह मौजूद रहते हैं तो उन परिस्थितियों में राजयोग का निर्माण होता है। राज योग एक ऐसा योग होता है जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष राजा के समान सुख प्रदान करता है। इस योग को प्राप्त करने वाला व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने वाला होता है।
ज्योतिष की दुनिया में जिन व्यक्तियों की कुण्डली में राजयोग निर्मित होता है, वे उच्च स्तरीय राजनेता, मंत्री, किसी राजनीतिक दल के प्रमुखया कला और व्यवसाय में खूब मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।राजयोग का आंकलन करने के लिए जन्म कुंडली में लग्न को आधार बनाया जाता है। कुंडली की लग्न में सही ग्रह मौजूद होते हैं तो राजयोग का निर्माण होता है।
जिस व्यक्ति की कुंडली में राजयोग रहता है उस व्यक्ति को हर प्रकार की सुख-सुविधा और लाभ भी प्राप्त होते हैं। इस लेख के माघ्यम से आइए जानें कि कुण्डली में राजयोग का निर्माण कैसे होता है-
मेष लग्न- मेष लग्न में मंगल और ब्रहस्पति अगर कुंडली के नौवें या दसवें भाव में विराजमान होते हैं तो यह राजयोग कारक बन जाता है।
वृष लग्न- वृष लग्न में शुक्र और शनि अगर नौवें या दसवें स्थान पर विराजमान होते हैं तो यह राजयोग का निर्माण कर देते हैं।इस लग्न में शनि राजयोग के लिए अहम कारक बताया जाता है।
मिथुन लग्न- मिथुन लग्न में अगर बुध या शनि कुंडली के नौवें या दसवें घर में एक साथ आ जाते हैं तो ऐसी कुंडली वाले जातक का जीवन राजाओं जैसा बन जाता है।
कर्क लग्न- कर्क लग्न में अगर चंद्रमा और ब्रहस्पति भाग्य या कर्म के स्थान पर मौजूद होते हैं तो यह केंद्र त्रिकोंण राज योग बना देते हैं। इस लग्न वालों के लिए ब्रहस्पति और चन्द्रमा बेहद शुभ ग्रह भी बताये जाते हैं।
सिंह लग्न- सिंह लग्न के जातकों की कुंडली में अगर सूर्य और मंगल दसमं या भाग्य स्थान में बैठ जाते हैं तो जातक के जीवन में राज योग कारक का निर्माण हो जाता है।
कन्या लग्न- कन्या लग्न में बुध और शुक्र अगर भाग्य स्थान या दसमं भाव में एक साथ आ जाते हैं तो जीवन राजाओं जैसा हो जाता है।
तुला लग्न- तुला लग्न वालों का भी शुक्र या बुध अगर कुंडली के नौवें या दसवें स्थान पर एक साथ विराजमान हो जाता है तो इस ग्रहों का शुभ असर जातक को राजयोग के रूप में प्राप्त होने लगता है।
वृश्चिक लग्न- वृश्चिक लग्न में सूर्य और मंगल, भाग्य स्थान या कर्म स्थान (नौवें या दसवें) भाव में एक साथ आ जाते हैं तो ऐसी कुंडली वाले का जीवन राजाओं जैसा हो जाता है। यहाँ एक बात और ध्यान देने वाली है कि अगर मंगल और चंद्रमा भी भाग्य या कर्म स्थान पर आ जायें तो यह शुभ रहता है।
धनु लग्न- धनु लग्न के जातकों की कुंडली में राजयोग के कारक, ब्रहस्पति और सूर्य माने जाते हैं। यह दोनों ग्रह अगरनौवें या दसवें घर में एक साथ बैठ जायें तो यह राजयोग कारक बन जाता है।
मकर लग्न- मकर लग्न वाली की कुंडली में अगर शनि और बुध की युति, भाग्य या कर्म स्थान पर मौजूद होती है तो राजयोग बन जाता है।
कुंभ लग्न- कुंभ लग्न वालों का अगर शुक्र और शनि नौवें या दसवें स्थान पर एक साथ आ जाते हैं तो जीवन राजाओं जैसा हो जाता है।
मीन लग्न- मीन लग्न वालों का अगर ब्रहस्पति और मंगल जन्म कुंडली के नवें या दसमं स्थान पर एक साथ विराजमान हो जाते हैं तो यह राज योग बना देते हैं।
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