कल 15 अप्रैल 2016 शुक्रवार को है श्रीरामनवमी : एवं देवी नौरात्रो का आखिरी दिवस-
ये है श्री राजा रामचन्द्र
की पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त व 12 राशियो के अनुसार उपाय तथा सभी संकटो से एवं दरिद्रता से मुक्ति दिलाने वाला तथा श्रीरामचन्द्र की कृपा दिलाने वाला श्रीरामरक्षास्तोत्र के पाठ सहित
दुर्लभ तथा सरल उपाय....
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि
को भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव बड़े ही
उल्लास व श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।
हिंदू धर्मावलंबी इस दिन भगवान श्रीराम
के निमित्त व्रत रखते हैं तथा नौरात्रो का विशेष पूजन एवं हवन भी
करते हैं। इस बार यह पर्व 15 अप्रैल शुक्रवार
को है। इस दिन भगवान श्रीराम का पूजन
इस विधि से करें-
पूजन विधि
श्रीरामनवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर
स्नान आदि करने के बाद अपने घर के उत्तर
भाग में एक सुंदर मंडप बनाएं। उसके बीच में एक
वेदी बनाएं। इसके बीच में भगवान श्रीराम व
माता सीता की प्रतिमा को स्थापित
करें। या अपने पुजाघर मे श्रीराम व माता सीता की फोटो पर
पंचोपचार (गंध, चावल, फूल, धूप, दीप) से पूजन
करें। इसके बाद यह मंत्र बोलें-
मंगलार्थ महीपाल नीराजनमिदं हरे।
संगृहाण जगन्नाथ रामचंद्र नमोस्तु ते।।
ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय
कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि।
इसके बाद किसी पात्र (बर्तन) में कपूर तथा
घी की बत्ती (एक या पांच अथवा ग्यारह)
जलाकर भगवान श्रीसीताराम की आरती
उतारें व गाएं-
आरती कीजै श्रीरघुबर की, सत चित आनंद
शिव सुंदर की।।
दशरथ-तनय कौसिला-नंदन, सुर-मुनि-रक्षक
दैत्य निकंदन,
अनुगत-भक्त भक्त-उर-चंदन, मर्यादा-
पुरुषोत्तम वरकी।।
निर्गुन सगुन, अरूप, रूपनिधि, सकल लोक-
वंदित विभिन्न विधि,
हरण शोक-भय, दायक सब सिधि,
मायारहित दिव्य नर-वरकी।।
जानकिपति सुराधिपति जगपति, अखिल
लोक पालक त्रिलोक-गति,
विश्ववंद्य अनवद्य अमित-मति, एकमात्र
गति सचारचर की।।
शरणागत-वत्सलव्रतधारी, भक्त कल्पतरु-वर
असुरारी,
नाम लेत जग पवनकारी, वानर-सखा दीन-
दुख-हरकी।।
आरती के बाद हाथ में फूल लेकर यह मंत्र बोलें-
नमो देवाधिदेवाय रघुनाथाय शार्गिणे।
चिन्मयानन्तरूपाय सीताया: पतये नम:।।
ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय
पुष्पांजलि समर्पयामि।
इसके बाद फूल भगवान को चढ़ा दें और यह
श्लोक बोलते हुए प्रदक्षिणा करें-
यानि कानि च पापानि
ब्रह्महत्यादिकानि च।
तानि तानि प्रणशयन्ति प्रदक्षिणपदे पदे।।
इसके बाद भगवान श्रीराम को प्रणाम करें
और कल्याण की प्रार्थना करें।
ये हैं पूजन के शुभ मुहूर्त
सुबह 06.30 से 8.00 तक- चल
सुबह 08.00 से 09.32 तक- लाभ
सुबह 09.32 से 11:05 तक- अमृत
दोपहर 12.35 से 02.05 तक- शुभ
शाम 05.10 से 06.40 तक- शुभ
श्रीराम नवमी पर ये दान तथा पाठ करें-
श्रीराम नवमी के दिन भगवान श्रीराम
की प्रतिमा दान करने का महत्व
श्रीअगस्त्य संहिता में बताया गया है।
प्रतिमा सोने, पत्थर या लकड़ी की भी
हो सकती है। सोने के पतरे पर
श्रीसीतारामजी का रेखाचित्र अंकित
करके भी उसे दान किया जा सकता है।साथ ही अगर संभव हो तो श्रीरामरछा स्त्रोत का पाठ भी करे आज के दिन इस स्त्रोत के पाठ करने से साधक की सभी मनोरथो की पूर्ति तथा उसके सभी दुखो: एवं दरिद्रता का नाश होता हैl
इस प्रकार पूजन करने से भगवान श्रीराम
भक्तों पर कृपा करते हैं और उनकी हर
मनोकामना पूरी करते हैं।
नवरात्रि के नौंवे दिन यानी रामनवमी के दिन
मां दुर्गा के नवमें स्वरूप सिद्धिदात्री की
उपासना करें एवं अपनी शक्तिनुसार मां दुर्गा के
नाम से दीप प्रज्ज्वलित करें।
गरीब-असहाय लोगों को अपने सामर्थ्य
अनुसार दान-पुण्य करें।
राम का जन्मोत्सव इसी तरह मनाएं जैसे घर में
कोई नन्हा शिशु जन्मा हो।
नवमी के दिन 1वर्ष की उपर एवं 10 वर्ष के नीचे की यथासम्भव कुंआरी कन्याओं को भोजन कराये एवं उनको कुछ द्रव्य देकर पाव छूकर विदा करेl
जानिए राम नवमी पर राशि अनुसार
भगवान श्रीराम एवं दुर्गा जी को किस चीज का भोग
लगाएं-
मेष- मेष राशि के लोग भगवान श्रीराम को
लड्डू और अनार का भोग लगाएं तो अच्छा
रहेगा।
वृषभ- इस राशि के लोग श्रीराम को
रसगुल्ले का भोग लगाएं, तो उनकी हर
मनोकामना पूरी होगी।
मिथुन- मिथुन राशि के व्यक्ति काजू की
मिठाई भगवान श्रीराम को अर्पित करें।
इससे इन्हें लाभ होगा।
कर्क- इस राशि के लोग मावे की बर्फी और
नारियल का भोग लगाएं।
सिंह- सिंह राशि के लोग गुड़ व बेल का फल
श्रीराम को भोग में चढ़ाएं।
कन्या- कन्या राशि के जातक प्रभु
श्रीराम को तुलसी के पत्ते और नाशपाती
अथवा कोई भी हरे फल का भोग लगाएं।
तुला- इस राशि के लोग कलाकंद और सेब
का भोग लगाएं, तो उनकी सभी मुश्किलें
समाप्त हो जाएंगी।
वृश्चिक- वृश्चिक राशि वाले गुड़ की
रेवड़ी व अन्य कोई गुड़ की मिठाई का भोग
लगाएं।
धनु- इस राशि के लोग श्रीराम को बेसन
की चक्की या अन्य कोई बेसन की मिठाई
का भोग लगाएं। इससे इनके सौभाग्य में
वृद्धि होगी।
मकर- मकर राशि के लोग गुलाब जामुन और
काले अंगूर का भोग लगाएं।
कुंभ- इस राशि के लोग चॉकलेटी रंग की
बर्फी और चीकू चढ़ाएं।
मीन- मीन राशि के जातक भगवान
श्रीराम को जलेबी और केले का भोग
लगाएं। इससे इनके सभी रुके हुए काम शीघ्र
ही हो जाएंगे।
अथ श्रीरामरक्षास्तोत्रम् ॥
श्रीगणेशायनम: ।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य ।
बुधकौशिक ऋषि: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता ।
अनुष्टुप् छन्द: ।
सीता शक्ति: ।
श्रीमद्हनुमान् कीलकम् ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥
॥ अथ ध्यानम् ॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥
वामाङ्कारूढ-सीता-मुखकमल-मिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥
॥ इति ध्यानम् ॥
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥
जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥
करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तक: ।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु: ॥९॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत् ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥
पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥
जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥१३॥
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥१४॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥
तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥
फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग सङिगनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥
संनद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥
रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ॥२३॥
इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥
रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥
रामं लक्ष्मण-पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥२६॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर् - ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥३१॥
लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरन्तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥
कूजन्तं राम-रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥
रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम् ।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥
राम रामेति रामेति रमे राम रामे मनोरमेl
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥
इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥
llजय श्री रामll
किसी भी सहायता के लिए संपर्क करे निःशुल्क 🔯🔯🔯पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी उपाध्यक्ष 🔯🔯 🔱वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान 🔱 🔱 🔱 🔱जयपुर एवं हैदराबाद 🔱🔱🔱🔱 मोबाइल नंबर 9348871117 ह्वाट्सएप नंबर 7877457465 🔱**श्वेतार्क गणपति 🔱सतनजा गणेश लक्ष्मी *🔱हरदोई गणपति 🔱वैजन्ती माला 🔱*दछिणावर्ती शंख*🔱*नर नारी**नेपाली रुद्राछ14 मुखी तक. 🔱**स्फटिक माला **🔱*रुद्राछ माला *🔱**विष्णु गोमती चक्र*🔱*शुलेमानी हकीक🔱 *नवरत्न सभी सर्टिफाइड***🔱,हत्था जोडी*🔱**लक्ष्मी कारक कौडी🔱,*🔯हकीकपत्थर *🔱🔯*बिल्ली की जेर🔱 🔯🔱***हकीक माला***🔱 पारद माला ***🔱*बिवाह बाधा निारण यन्त्र,*🔱** असली पारद शिवलिंग 🔱***पारद श्री यंत्र *🔱*पारद अगुठी🔱 *🔱***पैन्डल🔱 ,पारद की मूर्तिया**🔱* श्याही का कांटा ,**🔱**ऊल्लू के बीज**🔱**{🔱१मुखी से २१ मुखी तक रुद्राछ{इनडोनेशिया 🔱}इन्द्र जाल🔱 एवं तन्त्र सामान सभी उपलब्ध हैं संपर्क करें 🔱🔱🔱
ये है श्री राजा रामचन्द्र
की पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त व 12 राशियो के अनुसार उपाय तथा सभी संकटो से एवं दरिद्रता से मुक्ति दिलाने वाला तथा श्रीरामचन्द्र की कृपा दिलाने वाला श्रीरामरक्षास्तोत्र के पाठ सहित
दुर्लभ तथा सरल उपाय....
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि
को भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव बड़े ही
उल्लास व श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।
हिंदू धर्मावलंबी इस दिन भगवान श्रीराम
के निमित्त व्रत रखते हैं तथा नौरात्रो का विशेष पूजन एवं हवन भी
करते हैं। इस बार यह पर्व 15 अप्रैल शुक्रवार
को है। इस दिन भगवान श्रीराम का पूजन
इस विधि से करें-
पूजन विधि
श्रीरामनवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर
स्नान आदि करने के बाद अपने घर के उत्तर
भाग में एक सुंदर मंडप बनाएं। उसके बीच में एक
वेदी बनाएं। इसके बीच में भगवान श्रीराम व
माता सीता की प्रतिमा को स्थापित
करें। या अपने पुजाघर मे श्रीराम व माता सीता की फोटो पर
पंचोपचार (गंध, चावल, फूल, धूप, दीप) से पूजन
करें। इसके बाद यह मंत्र बोलें-
मंगलार्थ महीपाल नीराजनमिदं हरे।
संगृहाण जगन्नाथ रामचंद्र नमोस्तु ते।।
ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय
कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि।
इसके बाद किसी पात्र (बर्तन) में कपूर तथा
घी की बत्ती (एक या पांच अथवा ग्यारह)
जलाकर भगवान श्रीसीताराम की आरती
उतारें व गाएं-
आरती कीजै श्रीरघुबर की, सत चित आनंद
शिव सुंदर की।।
दशरथ-तनय कौसिला-नंदन, सुर-मुनि-रक्षक
दैत्य निकंदन,
अनुगत-भक्त भक्त-उर-चंदन, मर्यादा-
पुरुषोत्तम वरकी।।
निर्गुन सगुन, अरूप, रूपनिधि, सकल लोक-
वंदित विभिन्न विधि,
हरण शोक-भय, दायक सब सिधि,
मायारहित दिव्य नर-वरकी।।
जानकिपति सुराधिपति जगपति, अखिल
लोक पालक त्रिलोक-गति,
विश्ववंद्य अनवद्य अमित-मति, एकमात्र
गति सचारचर की।।
शरणागत-वत्सलव्रतधारी, भक्त कल्पतरु-वर
असुरारी,
नाम लेत जग पवनकारी, वानर-सखा दीन-
दुख-हरकी।।
आरती के बाद हाथ में फूल लेकर यह मंत्र बोलें-
नमो देवाधिदेवाय रघुनाथाय शार्गिणे।
चिन्मयानन्तरूपाय सीताया: पतये नम:।।
ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय
पुष्पांजलि समर्पयामि।
इसके बाद फूल भगवान को चढ़ा दें और यह
श्लोक बोलते हुए प्रदक्षिणा करें-
यानि कानि च पापानि
ब्रह्महत्यादिकानि च।
तानि तानि प्रणशयन्ति प्रदक्षिणपदे पदे।।
इसके बाद भगवान श्रीराम को प्रणाम करें
और कल्याण की प्रार्थना करें।
ये हैं पूजन के शुभ मुहूर्त
सुबह 06.30 से 8.00 तक- चल
सुबह 08.00 से 09.32 तक- लाभ
सुबह 09.32 से 11:05 तक- अमृत
दोपहर 12.35 से 02.05 तक- शुभ
शाम 05.10 से 06.40 तक- शुभ
श्रीराम नवमी पर ये दान तथा पाठ करें-
श्रीराम नवमी के दिन भगवान श्रीराम
की प्रतिमा दान करने का महत्व
श्रीअगस्त्य संहिता में बताया गया है।
प्रतिमा सोने, पत्थर या लकड़ी की भी
हो सकती है। सोने के पतरे पर
श्रीसीतारामजी का रेखाचित्र अंकित
करके भी उसे दान किया जा सकता है।साथ ही अगर संभव हो तो श्रीरामरछा स्त्रोत का पाठ भी करे आज के दिन इस स्त्रोत के पाठ करने से साधक की सभी मनोरथो की पूर्ति तथा उसके सभी दुखो: एवं दरिद्रता का नाश होता हैl
इस प्रकार पूजन करने से भगवान श्रीराम
भक्तों पर कृपा करते हैं और उनकी हर
मनोकामना पूरी करते हैं।
नवरात्रि के नौंवे दिन यानी रामनवमी के दिन
मां दुर्गा के नवमें स्वरूप सिद्धिदात्री की
उपासना करें एवं अपनी शक्तिनुसार मां दुर्गा के
नाम से दीप प्रज्ज्वलित करें।
गरीब-असहाय लोगों को अपने सामर्थ्य
अनुसार दान-पुण्य करें।
राम का जन्मोत्सव इसी तरह मनाएं जैसे घर में
कोई नन्हा शिशु जन्मा हो।
नवमी के दिन 1वर्ष की उपर एवं 10 वर्ष के नीचे की यथासम्भव कुंआरी कन्याओं को भोजन कराये एवं उनको कुछ द्रव्य देकर पाव छूकर विदा करेl
जानिए राम नवमी पर राशि अनुसार
भगवान श्रीराम एवं दुर्गा जी को किस चीज का भोग
लगाएं-
मेष- मेष राशि के लोग भगवान श्रीराम को
लड्डू और अनार का भोग लगाएं तो अच्छा
रहेगा।
वृषभ- इस राशि के लोग श्रीराम को
रसगुल्ले का भोग लगाएं, तो उनकी हर
मनोकामना पूरी होगी।
मिथुन- मिथुन राशि के व्यक्ति काजू की
मिठाई भगवान श्रीराम को अर्पित करें।
इससे इन्हें लाभ होगा।
कर्क- इस राशि के लोग मावे की बर्फी और
नारियल का भोग लगाएं।
सिंह- सिंह राशि के लोग गुड़ व बेल का फल
श्रीराम को भोग में चढ़ाएं।
कन्या- कन्या राशि के जातक प्रभु
श्रीराम को तुलसी के पत्ते और नाशपाती
अथवा कोई भी हरे फल का भोग लगाएं।
तुला- इस राशि के लोग कलाकंद और सेब
का भोग लगाएं, तो उनकी सभी मुश्किलें
समाप्त हो जाएंगी।
वृश्चिक- वृश्चिक राशि वाले गुड़ की
रेवड़ी व अन्य कोई गुड़ की मिठाई का भोग
लगाएं।
धनु- इस राशि के लोग श्रीराम को बेसन
की चक्की या अन्य कोई बेसन की मिठाई
का भोग लगाएं। इससे इनके सौभाग्य में
वृद्धि होगी।
मकर- मकर राशि के लोग गुलाब जामुन और
काले अंगूर का भोग लगाएं।
कुंभ- इस राशि के लोग चॉकलेटी रंग की
बर्फी और चीकू चढ़ाएं।
मीन- मीन राशि के जातक भगवान
श्रीराम को जलेबी और केले का भोग
लगाएं। इससे इनके सभी रुके हुए काम शीघ्र
ही हो जाएंगे।
अथ श्रीरामरक्षास्तोत्रम् ॥
श्रीगणेशायनम: ।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य ।
बुधकौशिक ऋषि: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता ।
अनुष्टुप् छन्द: ।
सीता शक्ति: ।
श्रीमद्हनुमान् कीलकम् ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥
॥ अथ ध्यानम् ॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥
वामाङ्कारूढ-सीता-मुखकमल-मिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥
॥ इति ध्यानम् ॥
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥
जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥
करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तक: ।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु: ॥९॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत् ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥
पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥
जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥१३॥
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥१४॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥
तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥
फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग सङिगनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥
संनद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥
रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ॥२३॥
इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥
रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥
रामं लक्ष्मण-पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥२६॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर् - ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥३१॥
लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरन्तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥
कूजन्तं राम-रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥
रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम् ।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥
राम रामेति रामेति रमे राम रामे मनोरमेl
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥
इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥
llजय श्री रामll
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