जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे कुंडली में बहु विवाह एवं द्विभार्या योग
बहु विवाह योग - लग्न में उच्च राशि का ग्रह हो, लग्नेश उच्च राशि में हो तो उसके तीन से ज्यादा विवाह योग होते हैं। - बलवान चंद्र और शुक्र एक राशि में बैठे हो तो बहु विवाह के योग होते हैं यानि अनेक स्त्रियों का स्वामी होता है अथवा अनेक पति योग होते हैं। - बलवान शुक्र सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा हो तो अनेक विवाह के योग होते हैं।
- सप्तम भाव पाप ग्रह से युत होकर लग्नेश धनेश और अष्टमेश तीनों सप्तम भाव में हों तो बहु विवाह योग होते हैं।
- सप्तमेश शनि पाप ग्रह के साथ बैठा हो तो बहु विवाह के योग होते हैं। -
सप्तमेश बलवान हों तीसरे चंद्र बलयुक्त हों तो अनेक विवाह के योग होते हैं।
- द्वितीय भाव का स्वामी एवं द्वादश भाव का स्वामी दोनों पराक्रम में बैठे हों तथा उनपर गुरु या नवमेश की दृष्टि हो तो अनेक विवाह योग होते हैं।
- सप्तमेश + लाभेश एक राशि में हो या एक दूसरों को देख रहे हों तो बहु विवाह योग जानें।
- सप्तम भाव का स्वामी अथवा लाभ भाव का स्वामी बलाबल युक्त होकर नवम अथवा पंचम में बैठे हों तो बहु विवाह योग समझें।
- यदि सप्तम भाव में शनि $ मंगल युक्त हो तो अनेक विवाह योग होते हैं। इस तरह से हम योगों द्वारा बहु विवाह योग आसानी से समझ सकते हैं। अब हम दो पत्नी के योग जानने का प्रयास करते हैं।
द्विभार्या योग - लग्नेश लग्न में हो तो द्विभार्या अथवा दो विवाह होते हैं। - अष्टमेश लग्न में अथवा सप्तम भाव में बैठा हो तो दो विवाह होते हैं। - लग्नेश छठे भाव में बैठा हो तो दो विवाह के योग होते हैं।
षष्ठ भाव में धनेश और सप्तम भाव में पाप ग्रह हों तो दो विवाह के योग होते हैं।
- सप्तमेश शुभ ग्रह से युक्त होकर शत्रु की राशि में या नीच राशि में हो और सप्तम घर में पाप ग्रह हो तो दो विवाह के योग होते हैं।
- स्त्री कारक ग्रह पाप ग्रह से युक्त हो, अपनी नीच, शत्रु, अस्त राशि में हो तो दो विवाह योग होता है।
- पाप ग्रह सप्तम भाव में हो तो दो विवाह योग होते हैं।
- सप्तम भाव में बहुत सारे पाप ग्रह हों और सप्तमेश पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो तीन विवाह योग होते हैं।
- लग्न, धन और सप्तम भाव पाप ग्रह से युक्त हो और सप्तमेश अपनी नीच, शत्रु, अस्त राशि में हो तो तीन विवाह योग समझें।
- मेष, सिंह, धनु राशि में सूर्य सप्तम भाव में हो तो दो विवाह योग होता है।
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