नक्षत्रों से बनने वाले अशुभ योगों में जन्म लेने या फिर नक्षत्रों का अशुभ प्रभाव दूर करने के लिये नक्षत्रों की शान्ति के उपाय किये जाते है. जब किसी का जन्म गण्डमूळ, गण्डान्त, अभुक्तमूल आदि में जन्म लेने पर शान्तिविधान कराने चाहिए. कुण्ड्ली में ग्रह पीडा होने पर गोचर का जो ग्रह व्यक्ति को पीडा दे रहा हों तो निम्न प्रकार से ग्रहों की शान्ति के उपाय किये जाते है.
ग्रह शान्ति की आवश्यकता अन्य कारणों से भी पड सकती है. जब किसी व्यक्ति का स्वास्थय सुधार न हो रहा हों, या फिर धन, शिक्षा, व्यवसाय संबधित विषयों में काम बनने में बाधाएं आ रही हों , इसके अलावा कार्यो में भाग्य का सहयोग प्राप्त न होने की स्थिति में ग्रहों के उपाय किये जा सकते है.
नियम व विधि पूर्वक करने पर कार्यो में सफलता प्राप्ति होती है. उपाय करते समय शुद्धता व सात्विकता का पालन करना चाहिए. अन्यथा विपरीत फल प्राप्त होने की संभावना बनती है. आईये देखें की गोचर के चन्द्र के शुभ फल पाने के लिये किस प्रकार के उपाये किये जा सकते है.
1. चन्द्र की वस्तुओं से स्नान
ग्रह शान्ति के लिये संबन्धित ग्रह की वस्तुओं से स्नान करना ग्रहों के उपाय के अन्तर्गत आता है. चन्द्र से संबन्धित अनेक वस्तुएं है. परन्तु स्नान करने के लिये दही का प्रयोग किया जाता है . चन्द्र के इस उपाय में स्नान पर बैठने से पहले जिस व्यक्ति के लिये यह उपाय किया जा रहा है. वह सकारात्मक रुप से इस कार्य के लिये सहमत होना चाहिए. तथा इस कार्य में व्यक्ति की आस्था भी होनी चाहिए.
चन्द्र के उपाय करने के लिये दही के पानी से पूरे शरीर की अच्छे से मालिस की जाती है. यह कार्य करते समय अगर चन्द्र के मन्त्र का जाप किया जाता है . तो विशेष रुप से शुभ रहता है. दही की मालिस करने के कुछ समय बाद जल से स्नान कर लिया जाता है. स्नान क्रिया करते समय चन्द्र देव का मन में ध्यान करना शुभ रहता है.
2. दान की वस्तुएं
चन्द्र के प्रभावों को शुभ करने के लिये चन्द्र की वस्तुओं का दान किया जाता है. इसकी दान वस्तुओं में दूध, दही, चावल, खांड, घी इनमें से कुछ या सभी पदार्थों को सोमवार के दिन दान करने पर शुभ फल प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है(Products of Moon are milk, curd, rice, sugar cubes and ghee for donation). जो व्यक्ति इन वस्तुओं का दान करना चाहता है.
उसे सोमावार के दिन सुबह प्रात: काल में स्नान, पूजा करने के बाद मन पर कोई बोझ न रखते हुए, इन वस्तुओं का दान किया जा सकता है. अपने सामर्थ्य के अनुसार ही दान करने चाहिए. तथा दान करने के बाद व्ययों को लेकर किसी प्रकार की चिन्ता या अफसोस नहीं करना चाहिए.
दान शुभ मुहूर्त समय पर किया जाये तो उतम फल मिलने की संभावना रहती है इसके अलावा दान की वस्तुओं को अपनी मेहनत से कमाये धन से ही लेना चाहिए. धन उधार लेकर या किसी ओर के धन से वस्तु खरीद कर दान करने पर पूर्ण शुभ फल नहीं मिलते है.
3. चन्द्र का मन्त्र
चन्द्र के अनिष्ट प्रभाव को दुर करने के लिये चन्द्र के मन्त्र का जाप किया जाता है. "ऊँ नम: शिवाय" इस मन्त्र का जाप करने से चन्द्र की शुभता में वृ्द्धि होती है. चन्द्र मन्त्र का जाप मानसिक शान्ति प्राप्त करने के लिये भी किया जाता है. जो व्यक्ति छोटी-छोटी बातों को लेकर अत्यधिक चिन्तित रहते है. उन्हें विशेष रुप से चन्द्र के मन्त्र का जाप करना चाहिए.
चन्द्र मन्त्र का जाप जब शिव की प्रतिमा या पारद शिवलिंग के सामने किया जाता है. तो उतम फल प्राप्त होते है. यह चन्द्र का वैदिक मन्त्र है ,ग्रहों से संबन्धित मन्त्र का जाप करते समय ध्यान को संबन्धित ग्रह पर केन्द्रित करना आवश्यक होता है. इस अवधि में अन्य विषयों के बारे में नहीं सोचना चाहिए.
4. चन्द्र यन्त्र
चन्द्र यन्त्र का निर्माण करने के लिये शुद्ध होकर चन्द्र पत्र या भोजपत्र कागज पर भी इस यन्त्र को बनाया जा सकता है. चन्द्र यन्त्र भोजपत्र पर अनार की कलम से लाल चन्दन, केसर व कस्तूरी से बनाया जाता है . चन्द्र यन्त्र में किसी ओर से भी संख्या योग करने पर योग 18 ही आता है. चन्द्र यन्त्र का निर्माण करने के बाद इसे मन्दिर में रख कर इसकी पूजा करनी चाहिए. या फिर चन्द्र का संबध आजिविका भाव से होने पर इसे कार्यक्षेत्र में भी स्थापित किया जा सकता है.
चन्द्र यन्त्र में पहली लाईन के खानों में 7,2,9 ये संख्याएं आती है. मध्य की लाईन के खानों में 8,6,4 इन संख्याओं को क्रमश लिखा जाता है. अन्तिम खानों में 3,10,5 ये तीन संख्याएं लिखी जाती है
5. चन्द्र हवन
चन्द्र हवन करते समय हवन से संबन्धित वस्तुओं को लेकर किसी जानकार पण्डित के द्वारा यह हवन कराया जा सकता है. हवन करते समय इसमें ऊपर दिये गये चन्द्र मन्त्र का प्रयोग किया जाता है .उपरोक्त मन्त्र को बोलते हुए हवन में आहूतियां देने से चन्द्र से प्राप्त होने वाले अशुभ प्रभाव में कमी होती!
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पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी उपाध्यक्ष
वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान
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